Tuesday, April 21, 2009

अलबेदार


बेदारियाँ -१ (२२-४-२००९)
शुरू करता हूँ बइस्म् ए सिद्क़ और ईमान के साथ- - -

मुसलामानों! जागो तुम आज कुछ ज़्यादह ही अपने दुश्मनों से घिरे हुए हो, वैसे तुम तो हमेशा से ही खतरों से घिरे रहते हो। जब तुम पर कोई खतरा लाहक़ होता है तो उल्टे तुम्हारे मज़हबी रहनुमा तुमको ही दोष देते हैं कि तुम दीन से हटते जा रहे हो और तुम को तुम्हारा माज़ी याद दिलाते हैं जब तुम हुक्मरान हुवा करते थे. हालाँकि तुम मुस्लिम अवाम हमेशा दीन दार रहे हो और आज सब से बेहतर मुस्लमान हो. फिर भी वह तुम को पहला हल बतलाते है कि नहा धो कर सब से पहले तुम तौबा करके नए सिरे से फिर से मुस्लमान बन जाओ और हो जाओ पंज वक्ता नमाजों के पाबन्द, उनका कहना मानो। दर अस्ल यही मुसलमानों के साथ कौमी हादसा है. मुस्लमान बेदार होने की दर पे होता है कि ये दीनदार उसे नींद की गोलियां एक बार फिर से देकर सुला देते हैं. क़ौम को सही मानों में बेदार होना है, इस के लिए क़ौम को बहुत बडी जेसारत करनी होगी. इसलाम को नए सिरे से समझना होगा, कुरआन की गहराइयों में जाना होगा जहाँ खौफ नाक नफ़ी के पहलू पोशीदा हैं, जिसे हर आलिम जनता है, नहीं जानती तो मुस्लिम अवाम। जिसे हर हिदू विद्वान् (अमानवीय मूल्यों का कपटी ज्ञान धारक) जनता है मगर चाहता है कि मुसलमान इस अंध विश्वास और आपसी कलह में हमेशा मुब्तिला रहे ताकि ये "पिछड़ा वर्ग विशेष" कहलाए. ओलिमा अगर क़ुरआनी हकीक़त मुसलमानों पर ज़ाहिर कर दें तो वोह गोया खुद कशी कर लें. "अलबेदार" ने बीडा उठाया है कि ईमानदारी के साथ मुसलमानों को जगाएगा और थोडी सी तब्दीली की राय देगा कि तुम " मुस्लिम से मोमिन हो जाओ" इसलाम को तस्लीम किया है जिसके पाबन्द हो. इस पाबन्दी को ख़त्म करदो और ईमान को कुबूल कर लो जो कि इन्सान का अस्ल और इन्सान का दीन है, जैसे धर्म कांटे का असली और फितरी दीन है उसकी सही तौल, फूल का असली और फितरी दीन है महक, और इन्सान का असली और फितरी दीन है इंसानियत। बस ये ज़रा सी तब्दीली धीरे से दिल की गहराई में जाकर तस्लीम कर लो फिर देखो कि तुम क्या से किया हो गए. तुम्हें अपनी तहज़ीब ओ तमद्दुन, अपना कल्चर अपनी ज़बान, अपना लिबास, अपना रख रखाव और तौर तरीका कुछ भी नहीं बदलना है, बदलना है तो सिर्फ सोच और वह भी बहुत शिद्दत के साथ कि बड़े ही नाज़ुक दौर से मुस्लमान कही जाने वाली क़ौम तबाही के दहाने पर है. अपने बच्चों को जदीद तालीम दो, दीनी तालीम और तरबीयत से दूर रक्खें. मौलानाओं, आलिमों, मोलवियों के साए से बचाएँ, क्यूंकि यही हमेशा से मुसलमानों के पस्मान्दगी के बाईस रहे है.

'मोमिन'

1 comment:

  1. आपके इस वाक्‍य ''स्वयम्भू अंतिम अवतार (जिसके वर्तमान हिंदी कार्य वाहक आप बने हुए हैं)।'' के बारे में मेरा कहना है कि मुहम्‍मद सल्‍ल. स्‍वयं अंतिम अवतार नहीं बने अल्‍लाह ने कहा और बनाया,, अब तो कई हिन्‍दू भाईयों ने ऐतिहासि‍क शोध करके हिन्‍दू, जैन, बौध, ईसाई और यहूदियों का भी उन्‍हीं का अंतिम अवतार साबित कर दिया है, बहुत जल्‍द इसपर मेरा ब्‍लाग अंतिम अवतार पर देखोगे, फिलहाल मेरे ब्‍लाग islaminhindi.blogspto.com से पढिये श्रीवास्‍तव जी की पुस्‍तक 'हजरत मुहम्‍मद और भारतीय धर्मग्रंथ''
    आपके इस वाक्‍य ''ए आर रहमान का इस्लामी दुन्या में बड़ा शोर है,'' के बारे में मेरा कहना है कि आपके पास, आप जैसे लोगों में उनका शौर होगा, जो मेरे चारों तरफ हैं उनमें अक्‍सर नहीं जानते यकीन ना हो तो किसी किन्‍हीं 10 मुसलमानों से पूछ लो लेकिन वह मुसलमान जो दूर से ही पता लग जाता है कि यह मुसलमान है,दुनिया भी जानती है कौन हैं मुसलमान बस अन्‍जान बनी हुई हैं, मुसलमान वह जिसे देखकर पूछना ना पडे कि तुम मुसलमान हो तेरे और मेरे जैसे नहीं, ऐसे लोगों से पूछना फिर बताना कितनों को मालूम है कि कौन है ए आर रहमान, इसकी वजह है उसने इस्‍लाम कबूल किया है अपनाया नहीं, इस्‍लाम में संगीत, नाच गाने, बेहयाई से बचने को कहा गया है, जो इन पर ना चल सका, जिनके आपने नाम गिनाये हैं उनके लिये मेरा कहना है क‍ि वह नाम के मुसलमान हैं मेरे और तुम्‍हारे जैसे,
    आगे से कुरआन पर जो लिखो, उसका नेट पर मौजूद कुरआन के हिन्‍दी अनूवाद से लिखा करो ताकि दूध का दूध पानी पानी हो जाये,
    www.quranhindi.com (जमात इस्‍लामी हिन्‍द की पूरी वेब की pdf book मेरे ब्‍लाग से डाउनलोड कर लो)
    www.aquran.com (शिया भाई की)
    www.altafseer.com (अठारह भाषाओं में अनुवाद उपलब्‍ध, इसके हिन्‍दी अनुवाद को मैंने यूनिकोड कर लिया है जो वेब मित्रों को भेज कर मशवरा कर रहा हॅं कि कैसे इसे नेट पर डाला जाये)
    www.al-shaia.org (ईरान की वेब यूनिकोड में परन्‍तु अभी अधूरा, 70 से आगे की कोई सूरत यहां देख लिया करो)
    मुझे किताबी कीडा बताते हो, अरे मैं तो गुनहगार हूं , मैं भी नाम का मुसलमान हूं बस आप जैसों की इस्‍लाम पर बकवास ने मुझे मजबूर किया कि मैं लिखूं, दूध का दुध और पानी का पानी कर दूंगा, इन्‍शाअल्‍लाह
    अभी भी वक्‍त है पढ लो 'आपकी अमानत आपकी सेवा में' फिर ना कहना हमें कोई रास्‍ता दिखाने वाला नहीं मिला था, जिन को तुम ढपली कहते हो उन अल्‍लाह के चैलंजो पर दौबारा गौर करो, जो विस्‍तारपूर्वक मेरे ब्‍लाग पर हैं
    1- अल्‍लाह का चैलेंज पूरी मानव जाति को (क़ुरआन में 114 नमूने हैं उनमें से किसी एक जैसा अध्‍याय/सूरत बनादो)
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/1-7.html
    2- अल्लाह का चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता।
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/3-7.html
    3- अल्लाह का चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/4-7.html
    4- अल्‍लाह का चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/blog-post.html
    2009
    5- अल्‍लाह का चैलेंजः आसमानी पुस्‍तक केवल चार
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/5-7.html
    2009
    6- खुदाई चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी’’
    http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/2-7.htm

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