सूरह अल्मायदः ५
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (1)
मैं सिने बलूगत से पहले ईमान का मतलब लेन देन के तकाजों को ही समझता था (और आज भी सिर्फ़ इसी को समझता हूँ) मगर इस्लामी समझ आने के बाद मालूम हुआ कि ईमान अस्ल तो कुछ और ही है, वह है कलिमा ए शहादत के मुताबिक, अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखना, कसमें भी दो तरह की होती हैं, कसमे-आम और कसमे-पुख्ता। इन बारीकियों को मौलाना जब समझ जाते है कि अल्लाह कितना दर गुज़र करता है तो वह लेन देन की बेईमानी भरपूर करते हैं. मेरे एक दोस्त ने बतलाया कि उनके कस्बे के एक मौलाना, मस्जिद के पेश इमाम, मदरसे के मुतवल्ली कुरान के आलिम, बड़े मोलवी, ग्राम प्रधान रहे हज़रात ने कस्बे की रंडी हशमत जान का खेत पटवारी को पटा कर जीम का नुकता बदलवा कर नीचे से ऊपर करा दिया जो जान की जगह खान हो गया. हज़रात के वालिद मरहूम का नाम हशमत खान था. विरासत हशमत खान के बेटे, बड़े मोलवी साहब उमर खान की हो गई, हशमत रंडी की सिर्फ एक बेटी छम्मी थी(अभी जिंदा है), उसने उसको मोलवी के क़दमों पर लाकर डाल और कहा" मोलवी साहब इस से पेशा न कराएँगे, रहेम कीजिए, अल्लाह का खौफ़ खाइए - - - " मगर मोलवी का दिल न पसीजा उसका ईमान कमज़ोर नहीं था, बहुत मज़बूत था। दो बेटे हैं, मेरे दोस्त बतलाते हैं दोनों डाक्टर है, और पोता कस्बे का चेयर मैन है। रंडी और मदरसे की जायदादें सब काम आरही हैं. यह है ईमान की बरकत. मुसलामानों के इस ईमानी झांसे में हो सकता है गैर मुस्लिम इन से ज्यादा धोका खाते हों कि ईमान लफ्ज़ को इन से जाना जाता है.
अहद की बात आई तो तसुव्वुर कायम हुवा "प्राण जाए पर वचन न जाए" मगर अल्लाह तो अहद के नाम पर चौपायों के शिकार की बातें कर रहा है। खैर, चलो शुक्र है दो पायों (यानी इंसानों) के शिकार से उसकी तवज्जो हटी हुई है, इस सूरह में शिकारयात पर अल्लाह का कीमती तबसरा ज्यादह ही है गो की आज ये फुजूल की बातें हो गईं हैं मगर मुहम्मदी अल्लाह इतना दूर अंदेश होता तो हम भी यहूदियों की तरह दुनिया के बेताज बादशाह न होते. खैर ख्वाबों में सही आकबत में ऊपर जन्नतों के मालिक तो होंगे ही. मोहम्मद शिकार के तौर तरीके बतलाते हैं क्यंकि उनके मूरिसे आला इस्माईल इब्ने लौंडी हाजरा(हैगर) के बेटे एक शिकारी ही थे जिनकी अलामती मूर्तियाँ काबे की दीवारों में नक्श थीं, जिसे इस्लामी तूफ़ान ने तारीखी सच्चाइयों की हर धरोहर की तरह खुरच खुरच कर मिटा दिया. मगर क्या खून में दौड़ती मौजों को भी इसलाम कहीं पर मिटा सका है. खुद मुहम्मद के खून में इस्माईल के खून की मौज कुरआन में आयत बन कर बन कर बोल रही है. हिदुस्तानी मुल्ला की बेटी की तन पर लिपटी सुर्ख लिबास, क्या सफेद इस्लामी लिबास का मुकाबला कर सका है? मुहम्मद कुरआन में कहते है बेशक अल्लाह जो चाहे हुक्म दे, यह उनकी खुद सरी की इन्तहा है और उम्मत गुलाम की इंसानी सरों की पामाली की हद. एक सर कश अल्लाह बन कर बोले और लाखों बन्दे सर झुकाए लब बयक कहें, इस से बड़ा हादसा किसी क़ौम के साथ और क्या हो सकता है?
"तुम पर हराम किए गए हैं मुरदार, खून और खिंजीर का गोश्त और जो कि गैर अल्लाह के नाम पर ज़द कर दिया गया हो और जो गला घुटने से मर जाए, जो किसी ज़र्ब से मर जाए या गिर कर मर जाए, जिसको कोई दरिंदा खाने लगे, लेलिन जिस को ज़बह कर डालो."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (3)
ज़रा जिंदगी की हकीक़तों में जाकर देखिए तो ये बातें बेवकूफ़ी की लगती हैं. आप की भूक कितनी है, हालत क्या हैं? हराम हलाल सब इन बातों पर मुनहसर करता है. किसी बादशाह ने मेहतरों को हलाल खोर का ठीक ही लक़ब दिया था, आज का सब से बड़ा हराम खोर रिशवत खाने वाला है. धर्म ओ मज़हब की कमाई खाने वाले भी खुद को हराम खोर ही समझें.
"और अगर तुम बीमार हो, हालाते सफ़र मे हो या तुम मे से कोई शख्स इस्तेंजे से आया हो या तुम ने बीवियों से कुर्बत की हो, फिर तुम को पानी न मिले तो पाक ज़मीन से तैममुम करो यानी अपने चेहरों पर, हाथों पर हाथ फेर लिया करो."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (6)
तैममुम भी क्या मज़ाक है मुसलमानों के मुँह पर, इसकी लोजिक कहीं से भी समझ में नहीं आती, सिवाए इसके की मुँह और हाथों पर धूल मल लेना, हो सकता है जहाँ मोलवी तैममुम कर रहा हो वहां कल किसी जानवर ने पेशाब किया हो? इस से बेहतर तो हवाई तैममुम था जैसे हवाई अल्लाह मियां हैं। मगर इसलाम में पाकी की बड़ी अहमियत है। इस तरह पाकी हफ्तों और महीनों बर क़रार रह सकती है भले ही कपडे साफ़ी हो जाएँ और इन से बदबू आने लगे. इसके बर अक्स एक कतरा पेशाब ताजे धुले कपडे में लग जाए तो मुस्लमान नापाक हो जाता है, यहाँ तक की अगर वोह कपडा वाशिंग मशीन में डाल दिया गया है तो तो उस के साथ के सभी कपडे नापाक हुए. नापाक कपडे की नजासत को बहते हुए पानी से इसलाम धोता है और जिस्म पर बैठी हुई गंदगी को तैममुम से जमी रहने देता है. देखने में आता है बनिए मगरीबी यू पी में मुसलामानों को पास बिठाना पसंद नहीं करते.
"और किसी खास क़ौम की अदावत तुम्हारे लिए बाइस न बन जाए कि तुम अदल न करो. अदल किया करो कि वो तक़वा से करीब है."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (8)
मुहम्मद कभी कभी मसलहतन जायज़ बात भी कर जाते है.
" अल्लाह लोगों से मुसलमान होने के बाद ही अच्छे कामों के बदले बेहतर आखरत के वादे करता है. बनी इस्राईल को उन के बारह सरदारों की तक़ररुरी की याद दिलाता है, जो कि युसुफ़ के भाई और हज़रत इब्राहीम के पड़ पोते थे. इन से इस्लामी नमाजें और ज़कात अदा कराता है. मुहम्मद अपने मज़हबी अरकान के साथ चौदह सौ साल पहले पैदा होते है और साढे तीन हज़ार साल पहले पैदा होने वाले यहूदियों से इस्लामी फ़राइज़ अदा कराते हैं, अपने ऊपर ईमान लाने की बातें करते हैं, गोया माजी बईद में दाखिल होकर तबलीगे इसलाम करते हैं और यहूदियों के नबियों को मुसलमान बनाते हुए अहद मौजूद में आँखें खोलते हैं. अल्लाह इन से क़र्ज़ लेकर इनके गुनाह दूर करने की बात करता है. मुहम्मद को हर रोज़ कोई न कोई बुरी खबर मिलती रहती है कि कोई टुकडी इनकी तहरीक से कट गई है. अल्लाह इनको तसल्ली देता है. नव मुस्लिम अंसार ताने देने लग जाते हैं, हम तो अंसार ठहरे, उन को भी मुहम्मद क़यामत तक के लिए बोग्ज़ और अदावत की वजेह से सवाब के एक हिस्से से महरूम कर देते हैं. मुहम्मद अपनी किताब को एक नूर बतलाते है, और इसकी रौशनी में ही राह तलाश करने की हिदायत करते हैं"
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (9-16)
"बिला शुबहा वोह काफिर हैं जो कहते हैं अल्लाह में मसीह बिन मरियम हैं.आप पूछिए अगर कि अल्लाह मह्सीह इब्ने मरियम को और उनकी वाल्दा को और ज़मीन में जो हैं उन सब को हलाक करना चाहे तो कोई शख्स ऐसा है जो अल्लाह ताला से इन को बचा सके."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (17)
*मुहम्मद ने कहना चाहा होगा कि मसीह इब्ने मरियम में अल्लाह है मगर आलम वज्द में कह गए अल्लाह में मसीह इब्ने मरियम है और कुरान को मुरत्तब करने वालों ने भी "मच्छिका स्थाने मच्छिका" ही कर दिया और कुछ बईद भी नहीं कि मुहम्मद कि इल्मी लियाक़त इस को दर गुजर भी कर सकती है. मुसलमान तो मानता है कुरआन में जो भूल चूक है उसका ज़िम्मेदार अल्लाह है. पूरी सूरह ही जिहालत से लबालब है, मुसलमान इसे कब तक वास्ते सवाब पढता रहेगा ?
" और यहूदी व नसारह दावा करते हैं कि हम अल्लाह के बेटे हैं और महबूब हैं, फिर तुम को ईमानों के एवाज़ अजाब क्यूँ देंगे बल्कि तुम भी मिन जुमला और मखलूक एक आदमी हो."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (18)
मिन जुमला उम्मी मुहम्मद का तकिया कलाम है वोह अक्सर इस लफ्ज़ को गैर ज़रूरी तौर पर इस्तेमाल करते हैं। यहाँ पर भी जो बात कहना चाहा है वोह कह नहीं पाए, अब मुल्ला जी उनके मददगार इस तरह होगे कि बन्दों को समझेंगे "अल्लाह का मतलब यह है कि - - -" गोया अल्लाह इनका हकला भाई हुवा. यहूद, नसारह अपने अपने राग गा रहे थे, मुहम्मद ने सोचा अच्छा मौक़ा है, क्यूँ न हम इस्लामी डफली लेकर मैदान में उतरें मगर उनके साथ बड़ा हादसा था कि वह उम्मी नंबर वन थे जिस को कठमुल्ला कहा जाए तो मुनासिब होगा.
"मुहम्मद एक बार फी मूसा को लेकर नई कहानी गढ़ते है जो हर कहानी कि तरह बेसिर पैर कि होती है. पता नहीं उनको कोई पुर मज़ाक यहूदी मिल जाता है जो मूसा की फ़र्जी दस्ताने गढ़ गढ़ कर मुहम्मद को बतलाता है. उस पर उनके गैर अदबी ज़ौक़ कि किस्सा गोई के लिए भी सलीका ए गोयाई चाहिए. बस शुरू हो जाते हैं अल्लाह ताला बन कर - - - "वोह वक़्त भी काबिले ज़िक्र है कि जब - - - या इस तरह कि क्या तुम को इस किस्से के बारे में, मालूम है कि जब - - -"
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (19-32)
" जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं और मुल्क में फसाद फैलाते फिरते हैं, उनकी यही सज़ा है कि क़त्ल किए जावें या सूली दी जावें या उनके हाथ और पाँव मुखलिफ सम्त से काट दिए जवे या ज़मीन पर से निकाल दिए जावें - - - उनको आखरत में अज़ाब अज़ीम है. हाँ जो लोग क़ब्ल इस के कि तुम उनको गिरफ्तार करो, तौबा कर लें तो जान लो बे शक अल्लाह ताला बख्स देगे, मेहरबानी फरमा देंगे."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (33-34)
भला अल्लाह से कौन लडेगा? वोह मयस्सर भी कहाँ है? हजारों सालों से दुन्या उसकी एक झलक के लिए बेताब है, बाग़ बाग़ हो जाने के लिए, तर जाने के लिए, निहाल हो जाने के लिए सब कुछ लुटाने को तैयार है। उसकी तो अभी तक जुस्तुजू है, किसी ने उसे देखा न पाया सिवाय मुहम्मद जैसे खुद साख्ता पैगम्बरों के. उस से लड्ने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है। लडाई तो उसका एजेंट पुर अमन ज़मीन पर थोप रहा है. गौर तलब है की कैसे कैसे मज्मूम तरीके अपने मुखालीफों के लिए ईजाद कर रहा है जिस को मोहसिन इंसानियत यह ओलिमा हरम जादे कहते हुए नहीं शर्माते. मुहम्मद ने अपनी जिंदगी में लोगों का जीना दूभर कर दिया था जिसका गवाह कोई और नहीं खुद यह कुरान है. इसकी सजा मुसलसल कि शक्ल में भोले भाले इंसानों को इन आलिमो की वज़ह से मिलती रही है मगर यह आज तक ज़मीं से नापैद नहीं किए गए जाने कब मुसलमान बेदार होगा. इक कुरान उसके लिए ज़हर का प्याला है जो अनजाने में वह सुब्ह ओ शाम पीता है. मुहम्मद ही इस ज़मीन का शैतानुर्र रजीम है जिस पर लानत भेज कर इसे रुसवा करना चाहिए.
"ए ईमान वालो! अल्लाह से डरो और अल्लाह का कुर्ब ढूंढो, उसकी राह में जेहाद करो, उम्मीद है कामयाब होगे."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (35)
याद रखें मुहम्मद दर पर्दा बजात खुद अल्लाह हैं और आप को अपने करीब चाहते हैं ताकि आप पर ग़ालिब रहें और आप से दीन के नाम पर जेहाद करा सकें। मुहम्मद दफ़ा हो गए हजारों मिनी मुहम्मद पैदा हो गए जो आप की नस्लों को जाहिल रखना चाहते हैं. अफ्गंस्तान, पाकिस्तान ही नहीं हिंदुस्तान में भी ये सब आप की नज़रों के सामने हो रहा है और अप की आँखें खुल नहीं रहीं। कोई राह नहीं है कि मैदान में खुल कर आएं. कमसे कम इस से शुरुआत करें की मुल्ला, मस्जिद और मज़हब का बाई काट करें. मत डरें समाज से, समाज आपसे है. मत डरें अल्लाह से, डरें तो बुराइयों से. अल्लाह अगर है भी तो भले लोगों का कभी बुरा नहीं करेगा. अल्लाह से डरने की ज़रुरत नहीं है. अल्लाह कभी डरावना नहीं होगा, होगा तो बाप जैसा अपनी औलाद को सिर्फ प्यार करने बाला,दोज़ख में जलाने वाला? उन पर लाहौल भेजिए.
मेरे हिन्दू भाई मोमिन जी ! कृपया आप विशाल ह्रदय से कुरान का अध्ययन करें . वह आपके इश्वर का संदेश है आप क़ुरान को एक बार अवश्य पढें .
ReplyDeleteआपके इस वाक्य ''स्वयम्भू अंतिम अवतार (जिसके वर्तमान हिंदी कार्य वाहक आप बने हुए हैं)।'' के बारे में मेरा कहना है कि मुहम्मद सल्ल. स्वयं अंतिम अवतार नहीं बने अल्लाह ने कहा और बनाया,, अब तो कई हिन्दू भाईयों ने ऐतिहासिक शोध करके हिन्दू, जैन, बौध, ईसाई और यहूदियों का भी उन्हीं का अंतिम अवतार साबित कर दिया है, बहुत जल्द इसपर मेरा ब्लाग अंतिम अवतार पर देखोगे, फिलहाल मेरे ब्लाग islaminhindi.blogspto.com से पढिये श्रीवास्तव जी की पुस्तक 'हजरत मुहम्मद और भारतीय धर्मग्रंथ''
ReplyDeleteआपके इस वाक्य ''ए आर रहमान का इस्लामी दुन्या में बड़ा शोर है,'' के बारे में मेरा कहना है कि आपके पास, आप जैसे लोगों में उनका शौर होगा, जो मेरे चारों तरफ हैं उनमें अक्सर नहीं जानते यकीन ना हो तो किसी किन्हीं 10 मुसलमानों से पूछ लो लेकिन वह मुसलमान जो दूर से ही पता लग जाता है कि यह मुसलमान है,दुनिया भी जानती है कौन हैं मुसलमान बस अन्जान बनी हुई हैं, मुसलमान वह जिसे देखकर पूछना ना पडे कि तुम मुसलमान हो तेरे और मेरे जैसे नहीं, ऐसे लोगों से पूछना फिर बताना कितनों को मालूम है कि कौन है ए आर रहमान, इसकी वजह है उसने इस्लाम कबूल किया है अपनाया नहीं, इस्लाम में संगीत, नाच गाने, बेहयाई से बचने को कहा गया है, जो इन पर ना चल सका, जिनके आपने नाम गिनाये हैं उनके लिये मेरा कहना है कि वह नाम के मुसलमान हैं मेरे और तुम्हारे जैसे,
आगे से कुरआन पर जो लिखो, उसका नेट पर मौजूद कुरआन के हिन्दी अनूवाद से लिखा करो ताकि दूध का दूध पानी पानी हो जाये,
www.quranhindi.com (जमात इस्लामी हिन्द की पूरी वेब की pdf book मेरे ब्लाग से डाउनलोड कर लो)
www.aquran.com (शिया भाई की)
www.altafseer.com (अठारह भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध, इसके हिन्दी अनुवाद को मैंने यूनिकोड कर लिया है जो वेब मित्रों को भेज कर मशवरा कर रहा हॅं कि कैसे इसे नेट पर डाला जाये)
www.al-shaia.org (ईरान की वेब यूनिकोड में परन्तु अभी अधूरा, 70 से आगे की कोई सूरत यहां देख लिया करो)
मुझे किताबी कीडा बताते हो, अरे मैं तो गुनहगार हूं , मैं भी नाम का मुसलमान हूं बस आप जैसों की इस्लाम पर बकवास ने मुझे मजबूर किया कि मैं लिखूं, दूध का दुध और पानी का पानी कर दूंगा, इन्शाअल्लाह
अभी भी वक्त है पढ लो 'आपकी अमानत आपकी सेवा में' फिर ना कहना हमें कोई रास्ता दिखाने वाला नहीं मिला था, जिन को तुम ढपली कहते हो उन अल्लाह के चैलंजो पर दौबारा गौर करो, जो विस्तारपूर्वक मेरे ब्लाग पर हैं
1- अल्लाह का चैलेंज पूरी मानव जाति को (क़ुरआन में 114 नमूने हैं उनमें से किसी एक जैसा अध्याय/सूरत बनादो)
http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/1-7.html
2- अल्लाह का चैलेंज है कि कुरआन में कोई रद्दोबदल नहीं कर सकता।
http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/3-7.html
3- अल्लाह का चैलेंज वैज्ञानिकों को सृष्टि रचना बारे
http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/4-7.html
4- अल्लाह का चैलेंजः कुरआन में विरोधाभास नहीं
http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/blog-post.html
2009
5- अल्लाह का चैलेंजः आसमानी पुस्तक केवल चार
http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/5-7.html
2009
6- खुदाई चैलेंज: यहूदियों (इसराईलियों) को कभी शांति नहीं मिलेगी’’
http://islaminhindi.blogspot.com/2009/02/2-7.htm
मोमिन जी इन दो सिरफिरे लोगों की बातों पर ध्यान ना दें इन्ही जैसे कट्टरपंथी लोगों के कारण आज इस्लाम मे सुधार की कोई गुंजाइश नही है.....
ReplyDeleteकाश ये इंसानी धर्म को भी कुछ समझ पाते.......
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ReplyDeleteसबसे पहले इसी ब्लाग पर antimawtar ब्लाग का वादा किया था, जो आरम्भ होकर केवल 2 पोस्ट के द्वारा ही Rank-1 हो चुका है,
छाती फटी जाती है यह जानकर कि हज्ररत मुहम्मद सल्ल. हमारे ही नहीं सभी बडे धर्मों के भी अंतिम अवतार हैं, सुब्हानअल्लाह----
इस्लाम के नाम पर बकवास करने वालों मैंने तहजीब के दायरे में रहकर तुम्हें लाजवाब करने को तैयार किया है अंतिम अवतार ब्लाग, अब हमारी बारी है अब तुम जवाब दो,
http://en.girgit.chitthajagat.in/antimawtar.blogspot.com/
hindustan ki digar zabanon jese Bangla, Devanagari, Gujarati, Gurmukhi, Kannada, Malayalam, Oriya, Roman(eng), Tamil, Telugu men bhi padha ja sakta he.
is topic par aap jo jante hen,,woh,, mujhe comment ke zariye batayen.
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blog Google translate hindi unicode to English:
example:
Dr. Saheb wrote in book "And last Nrashans Rishi":
In the Vedas, the Bible and in the final Grnthon Buddh which come in the form of Rishi was announced, he had proved the boss Mohammed, so it inspired me me that it is necessary to open the truth, even if the people are going to feel bad - Dr. -- Upadhyay Vedprkash
http://translate.google.com/translate?client=tmpg&hl=en&u=http%3A%2F%2Fwww.ant imawtar.blogspot.com%2F&langpair=hi|en
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vedon men, baibil men tatha bauddh granthon men antim rishi ke roop men jisake aane kee ghoshana kee gaee thi, vah mohammad sahab hi sidgh hote the, atah mere antahkaran ne mujhe yah prerana di, ki saty ko kholana aavashyak hai, bhale hi vah logon ko bura lagane vala ho.--dr. vedaprakash upadhyay-- Book "Narashans aur antim rishi"
http://en.girgit.chitthajagat.in/ant...blog-post.html
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blog Hindi unicode to Gujrati
વેદોં મેં, બાઇબિલ મેં તથા બૌદ્ધ્ ગ્રન્થોં મેં અન્તિમ ઋષિ્ કે રૂપ મેં જિસકે આને કી ઘોષણા કી ગઈ થી, વહ મોહમ્મદ સાહબ હી સિદ્ઘ હોતે થે, અતઃ મેરે અન્તઃકરણ ને મુઝે યહ પ્રેરણા દી, કિ સત્ય કો ખોલના આવશ્યક હૈ, ભલે હી વહ લોગોં કો બુરા લગને વાલા હો।--ડૉ. વેદપ્રકાશ ઉપાધ્યાય--
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Five English books in this topic in one pdf book
1- Muhammad in the Vedas and the Puranas
2- Kalki Avatar and Muhammad
3- Religious Unity in the Light of the Vedas
4- Muhammad in the Vedas and the Mahabharata
5- Appendix- Islam in the eyes of the non-Muslims
http://www.scribd.com/doc/8620683/Kalki-Avtar-Book
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पुस्तकः "नराशंस और अंतिम ऋषि" (एेतिहासकि शोध) --- डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय
ईबुकः"'कल्कि अवतार और मौहम्मद सल्ल.''----- डॉ. वेदप्रकाश उपाध्याय
पुस्तकः "हजरत मुहम्मद सल्ल. और भारतीय धर्मग्रंथ'' ----- डॉ. एम. ए. श्रीवास्तव
अल्लाह के चैलेंज
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ReplyDeleteਹਜ਼ਰਤ ਮੁਹਮ੍ਮਦ (ਸਲ੍ਲ.) ਔਰ ਭਾਰਤੀਯ ਧਰ੍ਮਗ੍ਰਨ੍ਥ -- ਡਾ. ਏਮ. ਸ਼੍ਰੀਵਾਸ੍ਤਵ
ਹਜ਼ਰਤ ਮੁਹਮ੍ਮਦ (ਸਲ੍ਲ.) ਕੇ ਆਗਮਨ ਕੀ ਪੂਰ੍ਵ ਸੂਚਨਾ ਹਮੇਂ ਬਾਇਬਿਲ, ਤੌਰੇਤ ਔਰ ਅਨ੍ਯ ਧਰ੍ਮਗ੍ਰਨ੍ਥੋਂ ਮੇਂ ਮਿਲਤੀ ਹੈ, ਯਹਾਂ ਤਕ ਕਿ ਭਾਰਤੀਯ ਧਰ੍ਮਗ੍ਰਨ੍ਥੋਂ ਮੇਂ ਭੀ ਆਪ (ਸਲ੍ਲ.) ਕੇ ਆਨੇ ਕੀ ਭਵਿਸ਼੍ਯਵਾਣਿਯਾਂ ਮਿਲਤੀ ਹੈਂ। ਹਿਨ੍ਦੂ, ਬੌਦ੍ਧ ਔਰ ਜੈਨ ਧਰ੍ਮ ਕੀ ਪੁਸ੍ਤਕੋਂ ਮੇਂ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਕੀ ਪੂਰ੍ਵ-ਸੂਚਨਾਏਂ ਮਿਲਤੀ ਹੈਂ। ਇਸ ਪੁਸ੍ਤਿਕਾ ਮੇਂ ਸਬਕੋ ਏਕਤ੍ਰ ਕਰਕੇ ਪੇਸ਼ ਕਰਨੇ ਕਾ ਪ੍ਰਯਾਸ ਕਿਯਾ ਗਯਾ ਹੈ।-----ਡਾ. ਏਮ. ਸ਼੍ਰੀਵਾਸ੍ਤਵ
http://pa.girgit.chitthajagat.in/antimawtar.blogspot.com/
ஹஜரத முஹம்மத (ஸல்ல.) ஔர பாரதீய தர்மக்ரந்த -- டா. ஏம. ஸ்ரீவாஸ்தவ
ஹஜரத முஹம்மத (ஸல்ல.) கே ஆகமந கீ பூர்வ ஸூசநா ஹமேஂ பாஇபில, தௌரேத ஔர அந்ய தர்மக்ரந்தோஂ மேஂ மிலதீ ஹை, யஹாஂ தக கி பாரதீய தர்மக்ரந்தோஂ மேஂ பீ ஆப (ஸல்ல.) கே ஆநே கீ பவிஷ்யவாணியாஂ மிலதீ ஹைஂ। ஹிந்தூ, பௌத்த ஔர ஜைந தர்ம கீ புஸ்தகோஂ மேஂ இஸ ப்ரகார கீ பூர்வ-ஸூசநாஏஂ மிலதீ ஹைஂ। இஸ புஸ்திகா மேஂ ஸபகோ ஏகத்ர கரகே பேஸ கரநே கா ப்ரயாஸ கியா கயா ஹை।-----டா. ஏம. ஸ்ரீவாஸ்தவ
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హజరత ముహమ్మద (సల్ల.) ఔర భారతీయ ధర్మగ్రన్థ -- డా. ఏమ. శ్రీవాస్తవ
హజరత ముహమ్మద (సల్ల.) కే ఆగమన కీ పూర్వ సూచనా హమేం బాఇబిల, తౌరేత ఔర అన్య ధర్మగ్రన్థోం మేం మిలతీ హై, యహాఁ తక కి భారతీయ ధర్మగ్రన్థోం మేం భీ ఆప (సల్ల.) కే ఆనే కీ భవిష్యవాణియాఁ మిలతీ హైం। హిన్దూ, బౌద్ధ ఔర జైన ధర్మ కీ పుస్తకోం మేం ఇస ప్రకార కీ పూర్వ-సూచనాఏం మిలతీ హైం। ఇస పుస్తికా మేం సబకో ఏకత్ర కరకే పేశ కరనే కా ప్రయాస కియా గయా హై।-----డా. ఏమ. శ్రీవాస్తవ
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अल्लाह के चैलेंज
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वाह वाह अल-बेदार भाई, आपके ब्लॉग पर पहली बार आया, लेकिन आप जो कोई भी हों, सबकी पोल बड़े ही उम्दा तरीके से खोल रहे हैं… जिन्होंने इस्लाम का गलत प्रचार करने का काम हाथ में ले रखा है और जिन्हें अरब देशों से पैसा मिलता है, उन्हें बेनकाब करें आप…। चूंकि आप कुर-आन के अच्छे ज्ञाता लगते हैं इसलिये यह काम आप बेहतर तरीके से कर सकते हैं… अब आपके ब्लॉग पर आता रहूंगा… धन्यवाद…
ReplyDeleteअल्लाह, कुरआन और मुहम्मद का मजाक उडाने वाले आज तेरे कारण सारे अग्रीगेटर कांप जायेंगे, वह न्याय पर नहीं रहेंगे,
ReplyDeleteराजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं-
(1) इस्लाम की सबसे प्रधान विशेषता उसका विशुद्ध एकेश्वरवाद है। हिन्दू धर्म के ईश्वर-कृत वेदों का एकेश्वरवाद कालान्तर से बहुदेववाद में खोया तो नहीं तथापि बहुदेववाद और अवतारवाद के बाद ईश्वर को मुख्य से गौण बना दिया गया है। इसी प्रकार ईसाइयों की त्रिमूर्ति अर्थात ईश्वर, पुत्र और आत्मा की कल्पना ने हिन्दुओं के अवतारवाद के समान ईसाई धर्म में भी ईश्वर मुख्य न रहकर गौण हो गयां इसके विपरीत इस्लाम के एकेश्वरवाद में न किसी प्रकार का परिवर्तन हुआ और न विकार उत्पन्न हुआ। इसकी नींव इतनी सुदृढ़ है कि इसमें मिश्रण का प्रवेश असंभव है। इसका कारण इस्लाम का यह आधारभूत कलिमा है- ‘‘मैं स्वीकार करता हूँ कि ईश्वर के अतिरिक्त कोई पूज्य और उपास्य नहीं और मुहम्मद ईश्वर के दास और उसके दूत हैं। मुहम्मद साहब को ईश्वर ने कुरआन में अधिकतर ‘अब्द’ कहा है जिसका अर्थ आज्ञाकारी दास है, अतएव ईश्वर का दास न ईश्वर का अवतार हो सकता है और न उपास्य हो सकता है।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं-
ReplyDelete(2-20) इस्लाम ने मदिरा को हर प्रकार के पापों की जननी कहा है। अतः इस्लाम में केवल नैतिकता के आधार पर मदिरापान निषेघ नहीं है अपितु घोर दंडनीय अपराध भी है। अर्थात कोड़े की सज़ा। इस्लाम में सिदधंततः ताड़ी, भंग आदि सभी मादक वस्तुएँ निषिद्ध है। जबकि हिन्दू धर्म में इसकी मनाही भी है और नहीं भी है। विष्णु के उपासक मदिरा को वर्जित मानते हैं और काली के उपासक धार्मिक, शिव जैसे देवता को भंग-धतुरा का सेवनकर्ता बताया जाता है तथा शैव भी भंग, गाँजा आद का सेवन करते हैं।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (3-20)
ReplyDeleteज़कात अर्थात अनिवार्य दान। यह श्रेय केवल इस्लाम को प्राप्त है कि उसके पाँच आधारभूत कृत्यों-नमाज़ (उपासना) , रोज़ा (ब्रत) हज (काबा की तीर्थ की यात्रा), में एक मुख्य कृत्य ज़कात भी है। इस दान को प्राप्त करने के पात्रों में निर्धन भी हैं और ऐसे कर्जदार भी हैं ‘जो कर्ज़ अदा करने में असमर्थ हों या इतना धन न रखते हों कि कोई कारोबार कर सकें। नियमित रूप से धनवानों के धन में इस्लाम ने मूलतः धनहीनों का अधिकार है उनके लिए यह आवश्यक नहीं है कि वे ज़कात लेने के वास्ते भिक्षुक बनकर धनवानों के पास जाएँ। यह शासन का कर्तव्य है कि वह धनवानों से ज़कात वसूल करे और उसके अधिकारियों को दे। धनहीनों का ऐसा आदर किसी धर्म में नहीं है।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (4-20)
ReplyDeleteइस्लाम में हर प्रकार का जुआ निषिद्ध है जबकि हिन्दू धर्म में दीपावली में जुआ खेलना धार्मिक कार्य है। ईसाई। धर्म में भी जुआ पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (5-20)
ReplyDeleteसूद (ब्याज) एक ऐसा व्यवहार है जो धनवानों को और धनवान तथा धनहीनों को और धनहीन बना देता है। समाज को इस पतन से सुरक्षित रखने के लिए किसी धर्म ने सूद पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई है। इस्लाम ही ऐसा धर्म है जिसने सूद को अति वर्जित ठहराया है। सूद को निषिद्ध घोषित करते हुए क़ुरआन में बाकी सूद को छोड देने की आज्ञा दी गई है और न छोडने पर ईश्वर और उसके संदेष्टा से युद्ध् की धमकी दी गई है। (कुरआन 2 : 279)
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (6-20)
ReplyDeleteइस्लाम ही को यह श्रेय भी प्राप्त है कि उसने धार्मिक रूप से रिश्वत (घूस) को निषिद्ध ठहराया है (कुरआन 2:188) हज़रत मुहम्मद साहब ने रिश्वत देनेवाले और लेनेवाले दोनों पर खुदा की लानत भेजी है।
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ReplyDeleteइस्लाम ही ने सबसे प्रथम स्त्रियों को सम्पति का अधिकार प्रदान किया, उसने मृतक की सम्पति में भी स्त्रियों को भाग दिया। हिन्दू धर्म में विधवा स्त्री के पुनर्विवाह का नियम नहीं है, इतना ही नहीं मृत पति के शव के साथ विधवा का जीवित जलाने की प्रथा थी। जो नहीं जलाई जाती थी वह न अच्छा भोजन कर सकती थी, न अच्छा वस्त्र पहन सकती थी और न शुभ कार्यों में भाग ले सकती थी। वह सर्वथा तिरस्कृत हो जाती थी, उसका जीवन भारस्वरूप हो जाता था। इस्लाम में विधवा के लिए कोई कठोर नियम नहीं है। पति की मृत्यू के चार महीने दस दिन बाद वह अपना विवाह कर सकती है।
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ReplyDeleteइस्लाम ही ने अनिर्वा परिस्थिति में स्त्रियों को पति त्याग का अधिकार प्रदान किया है, हिन्दू धर्म में स्त्री को यह अधिकार नहीं है। हमारे देश में संविधान द्वारा अब स्त्रियों को अनेक अधिकार मिले हैं।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (9-20)
ReplyDeleteयह इस्लाम ही है जिसने किसी स्त्री के सतीत्व पर लांछना लगाने वाले के लिए चार साक्ष्य उपस्थित करना अनिवार्य ठहराया है और यदि वह चार उपस्थित न कर सके तो उसके लिए अस्सी कोडों की सज़ा नियत की है। इस संदर्भ में श्री रामचन्द्र और हज़रत मुहम्मद साहब का आचरण विचारणीय है। मुहम्मद साहब की पत्नी सुश्री आइशा के सतीत्व पर लांछना लगाई गई थी जो मिथ्या सिद्ध हुई, श्रीमति आइशा निर्दोष सिद्ध हुई। परन्तु रामचन्द्र जी ने केवल संशय के कारण श्रीमती सीता देवी का परित्याग कर दिया जबकि वे अग्नि परीक्षा द्वारा अपना सतीत्व सिद्ध कर चुकी थीं। यदि पुरूष रामचंद्र जी के इस आचार का अनुसरण करने लगें तो कितनी निर्दाष सिद्ध् की जीवन नष्ट हो जाए। स्त्रियों को इस्लाम का कृतज्ञ होना चाहिए कि उसने निर्दोष स्त्रियों पर दोषारोपण को वैधानिक अपराध ठहराया।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (10-20)
ReplyDeleteयह इस्लाम ही है जिसने किसी स्त्री के सतीत्व पर लांछना लगाने वाले के लिए चार साक्ष्य उपस्थित करना अनिवार्य ठहराया है और यदि वह चार उपस्थित न कर सके तो उसके लिए अस्सी कोडों की सज़ा नियत की है। इस संदर्भ में श्री रामचन्द्र और हज़रत मुहम्मद साहब का आचरण विचारणीय है। मुहम्मद साहब की पत्नी सुश्री आइशा के सतीत्व पर लांछना लगाई गई थी जो मिथ्या सिद्ध हुई, श्रीमति आइशा निर्दोष सिद्ध हुई। परन्तु रामचन्द्र जी ने केवल संशय के कारण श्रीमती सीता देवी का परित्याग कर दिया जबकि वे अग्नि परीक्षा द्वारा अपना सतीत्व सिद्ध कर चुकी थीं। यदि पुरूष रामचंद्र जी के इस आचार का अनुसरण करने लगें तो कितनी निर्दाष सिद्ध् की जीवन नष्ट हो जाए। स्त्रियों को इस्लाम का कृतज्ञ होना चाहिए कि उसने निर्दोष स्त्रियों पर दोषारोपण को वैधानिक अपराध ठहराया।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (10-20)
ReplyDeleteइस्लाम ही है जिसे कम नापने और कम तौलने को वैधानिक अपराध के साथ धार्मिक पाप भी ठहराया और बताया कि परलोक में भी इसकी पूछ होगी।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (11-20)
ReplyDeleteइस्लाम ने अनाथों के सम्पत्तिहरण को धार्मिक पाप ठहराया है। (कुरआनः 4:10, 4:127)
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (12-20)
ReplyDeleteइस्लाम कहता है कि यदि तुम ईश्वर से प्रेम करते हो तो उसकी सृष्टि से प्रेम करो।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (13-20
ReplyDeleteइस्लाम कहता है कि ईश्वर उससे प्रेम करता है जो उसके बन्दों के साथ अधिक से अधिक भलाई करता है।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में इस्लाम की 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (14-20)
ReplyDeleteइस्लाम कहता है कि जो प्राणियों पर दया करता है, ईश्वर उसपर दया करता है।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (15-20) दया ईमान की निशानी है। जिसमें दया नहीं उसमें ईमान नहीं।
ReplyDeleteराजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (16-20)
ReplyDeleteकिसी का ईमान पूर्ण नहीं हो सकता जब तक कि वह अपने साथी को अपने समान न समझे।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (17-20)
ReplyDeleteइस्लाम के अनुसार इस्लामी राज्य कुफ्र (अधर्म) को सहन कर सकता है, परन्तु अत्याचार और अन्याय को सहन नहीं कर सकता।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (18-20)
ReplyDeleteइस्लाम कहता है कि जिसका पडोसी उसकी बुराई से सुरक्षित न हो वह ईमान नहीं लाया।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (19-20)
ReplyDeleteजो व्यक्ति किसी व्यक्ति की एक बालिश्त भूमि भी अनधिकार रूप से लेगा वह क़ियामत के दिन सात तह तक पृथ्वी में धॅसा दिया जाएगा।
राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में इस्लाम की 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (20-20)
ReplyDeleteइस्लाम में जो समता और बंधुत्व है वह संसार के किसी धर्म में नहीं है। हिन्दू धर्म में हरिजन घृणित और अपमानित माने जाते हैं। इस भावना के विरूद्ध 2500 वर्ष पूर्व महात्मा बुदद्ध ने आवाज़ उठाई और तब से अब तक अनेक सुधारकों ने इस भावना को बदलने का प्रयास किया। आधुनिक काल में महात्मा गाँधी ने अथक प्रयास किया किन्तु वे भी हिन्दुओं की इस भावना को बदलने में सफल नहीं हो सके। इसी प्रकार ईसाइयों भी गोरे-काले का भेद है। गोरों का गिरजाघर अलग और कालों का गिरजाघर अलग होता है। गोरों के गिरजाघर में काले उपासना के लिए प्रवेश नहीं कर सकते। दक्षिणी अफ्रीका में इस युग में भी गोर ईसाई का नारा व्याप्त है और राष्टसंघ का नियंत्रण है। इस भेद-भाव को इस्लाम ने ऐसा जड से मिटाया कि इसी दक्षिणी अफ्रीका में ही एक जुलू के मुसलमान होते ही उसे मुस्लिम समाज में समानता प्राप्त हो जाती है, जबकि ईसाई होने पर ईसाई समाज में उसको यह पद प्राप्त नहीं होता। गाँधी जी ने इस्लाम की इस प्रेरक शक्ति के प्रति हार्दिद उदगार व्यक्त किया है।।''
मैं आभारी हैं मधुर संदेश संगम के जिन्होंने इस लेख को ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ नामक पुस्तिका में छापा।
मेरे द्वारा उपलब्ध इस्लामिक पुस्तकें आधुनिक स्वरूप युनिकोड ओर ईबुक में पढ़ने के लिये देखें
ReplyDeleteislaminhindi.blogspot.com
1. मधुर संदेश संगम की वेबसाइट www.quranhindi.com पर उपलब्ध कुरआन ईबुक के रूप में उपलब्ध
2. मौलाना कलीम सददीकी की गैरमुस्लिमों के लिये‘‘आपकी अमानत आपकी सेवा में
book 'aapki amanat apki sewa men'
3. डा. ज़ाकिर नायक की ‘ गल्तफहमियों का निवारण‘‘ जिसमें हैं गैरमुस्लिमों के प्रशनों के उत्तर
4. कादयानियों की असलियत उन्हीं की तहरीरों से पेश करने वाली पुस्तक ‘‘कादयानियत की हकीकत‘‘
5. अल्लाह के सैंकडों चैलेंजों में से छ इस ब्लाग पर भी विस्तार से हिन्दी में उपलब्ध
6. नव-मुस्लिम 80 महिलाओं की दास्तान मधुर संदेश संगम की प्रस्तुति ‘‘हमें खुदा कैसे मिला
7. कुरआन और आधुनिक विज्ञान
8- वेद-क़ुरआन पर आधारति प्रसिद्ध पुस्तक 'अब भी ना जागे तो'
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मुहम्मद सल्ल. को दूसरे धर्मां से भी अंतिम-अवतार अर्थात आखरी नबी साबित करने वाली पुस्तकें पढने के लिये देखें
antimawtar.blogspot.com
1. ‘‘नराशंस और अंतिम ऋषि‘‘- ऐतिहासिक शोध - लेखक डा. वेद प्रकाश उपाघ्याय
narasans aur antim rishi
2. ‘‘कल्कि अवतार और मुहम्मद सल्ल.‘‘--लेखक डा. वेद प्रकाश उपाघ्याय
kalki avtar aur Muhammed p.b.u.h.
3. ‘‘हज़रत मुहम्मद सल्ल. और भारतीय धर्मग्रन्थ‘‘हिन्दी उर्दू --लेखक डा. एम. ए. श्रीवास्तव
hazrat mohd. aur bhartiye dharam granth
4. 5 पुस्तकों की एक अंग्रेजी ईबुक भी उपलब्ध
भाई साहब, आपकी लेखनी का जवाब नहीं। इन विषयों पर आपके और भी आलेख पढ़ने को मिलेंगे, ऐसी आशा है। कृपया अपनी लेखनी को इतना विराम मत दें। मई २००९ के बाद आपका यह ब्लॉगस्पॉट आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, कुछ धर्मान्ध कैरानवी, सलीम जैसे लोगों की आंख खोलने का।
ReplyDeleteDear Momim, I dont know more about you. but you are really serving for humanity. keep it up.
ReplyDeleteऐसे सवालों और जवाबों का सैंकडों साल पहले जवाब दिया जा चुका, आर्य समाज इन सवालों को डालके तब भी घाटे में रहा अब भी रहेगा, विश्वास न हो तो पढो
ReplyDeleteहक प्रकाश बजवाब सत्यार्थ प्रकाश
online reading
http://www.scribd.com/doc/42148170/Haq-Parkash-BajawabSatyarthPrakash
تبر اسلام
arya samaji kitab nakhle islam ka jawab, Arya samaj ka fitna khatam
karne wali kitab,
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http://www.scribd.com/doc/41845917/Tabrra-e-Islam-Sanaullah-Amratsari
ترک اسلام کا جواب ترک اسلام
arya samaji book "tark e islam" ka jawab "turk e islam"
online reading
http://www.scribd.com/doc/41806300/Turk-e-Islam-Sanaullah-Amratsari
urdu book: ویداور سوامی دیانند
غازی محمود دھرم پال
online reading
http://www.scribd.com/Ved-Aur-Swami-Dayananda-Mehmood-Dharmpal-ghazi/d/41514707