tag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post8783945805070527173..comments2023-04-15T07:10:33.254-07:00Comments on Albedar - The Hidden Truth: हर्फ़ ए गलत (क़ुरआनी हक़ीक़त)MOMINhttp://www.blogger.com/profile/03513474517268047629noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-8346369835207593422010-11-13T00:02:45.502-08:002010-11-13T00:02:45.502-08:00ऐसे सवालों और जवाबों का सैंकडों साल पहले जवाब दिया...ऐसे सवालों और जवाबों का सैंकडों साल पहले जवाब दिया जा चुका, आर्य समाज इन सवालों को डालके तब भी घाटे में रहा अब भी रहेगा, विश्वास न हो तो पढो<br /><br />हक प्रकाश बजवाब सत्यार्थ प्रकाश <br />online reading<br />http://www.scribd.com/doc/42148170/Haq-Parkash-BajawabSatyarthPrakash<br /><br />تبر اسلام<br />arya samaji kitab nakhle islam ka jawab, Arya samaj ka fitna khatam<br />karne wali kitab,<br /><br />online reading<br />http://www.scribd.com/doc/41845917/Tabrra-e-Islam-Sanaullah-Amratsari<br /><br /><br />ترک اسلام کا جواب ترک اسلام<br />arya samaji book "tark e islam" ka jawab "turk e islam"<br /><br />online reading<br />http://www.scribd.com/doc/41806300/Turk-e-Islam-Sanaullah-Amratsari<br /><br /><br />urdu book: ویداور سوامی دیانند<br />غازی محمود دھرم پال<br /><br />online reading<br />http://www.scribd.com/Ved-Aur-Swami-Dayananda-Mehmood-Dharmpal-ghazi/d/41514707haq.parkashhttps://www.blogger.com/profile/15966923658519722584noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-59757480586930820782009-09-21T05:30:12.222-07:002009-09-21T05:30:12.222-07:00Dear Momim, I dont know more about you. but you ar...Dear Momim, I dont know more about you. but you are really serving for humanity. keep it up.Anshumanhttps://www.blogger.com/profile/14845300949754006028noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-56264463522270050912009-08-27T05:16:59.564-07:002009-08-27T05:16:59.564-07:00भाई साहब, आपकी लेखनी का जवाब नहीं। इन विषयों पर आप...भाई साहब, आपकी लेखनी का जवाब नहीं। इन विषयों पर आपके और भी आलेख पढ़ने को मिलेंगे, ऐसी आशा है। कृपया अपनी लेखनी को इतना विराम मत दें। मई २००९ के बाद आपका यह ब्लॉगस्पॉट आपकी प्रतीक्षा कर रहा है, कुछ धर्मान्ध कैरानवी, सलीम जैसे लोगों की आंख खोलने का।दिवाकर मणिhttps://www.blogger.com/profile/03148232864896422250noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-9107131479353873782009-08-17T05:36:25.487-07:002009-08-17T05:36:25.487-07:00मेरे द्वारा उपलब्ध इस्लामिक पुस्तकें आधुनिक स्वरू...मेरे द्वारा उपलब्ध इस्लामिक पुस्तकें आधुनिक स्वरूप युनिकोड ओर ईबुक में पढ़ने के लिये देखें<br />islaminhindi.blogspot.com<br />1. मधुर संदेश संगम की वेबसाइट www.quranhindi.com पर उपलब्ध कुरआन ईबुक के रूप में उपलब्ध<br />2. मौलाना कलीम सददीकी की गैरमुस्लिमों के लिये‘‘आपकी अमानत आपकी सेवा में <br />book 'aapki amanat apki sewa men'<br />3. डा. ज़ाकिर नायक की ‘ गल्तफहमियों का निवारण‘‘ जिसमें हैं गैरमुस्लिमों के प्रशनों के उत्तर<br />4. कादयानियों की असलियत उन्हीं की तहरीरों से पेश करने वाली पुस्तक ‘‘कादयानियत की हकीकत‘‘<br />5. अल्लाह के सैंकडों चैलेंजों में से छ इस ब्लाग पर भी विस्तार से हिन्दी में उपलब्ध<br />6. नव-मुस्लिम 80 महिलाओं की दास्तान मधुर संदेश संगम की प्रस्तुति ‘‘हमें खुदा कैसे मिला<br />7. कुरआन और आधुनिक विज्ञान <br />8- वेद-क़ुरआन पर आधारति प्रसिद्ध पुस्तक 'अब भी ना जागे तो'<br />.................<br />मुहम्मद सल्ल. को दूसरे धर्मां से भी अंतिम-अवतार अर्थात आखरी नबी साबित करने वाली पुस्तकें पढने के लिये देखें<br />antimawtar.blogspot.com<br />1. ‘‘नराशंस और अंतिम ऋषि‘‘- ऐतिहासिक शोध - लेखक डा. वेद प्रकाश उपाघ्याय<br /> narasans aur antim rishi<br />2. ‘‘कल्कि अवतार और मुहम्मद सल्ल.‘‘--लेखक डा. वेद प्रकाश उपाघ्याय<br />kalki avtar aur Muhammed p.b.u.h.<br />3. ‘‘हज़रत मुहम्मद सल्ल. और भारतीय धर्मग्रन्थ‘‘हिन्दी उर्दू --लेखक डा. एम. ए. श्रीवास्तव<br />hazrat mohd. aur bhartiye dharam granth<br />4. 5 पुस्तकों की एक अंग्रेजी ईबुक भी उपलब्धMohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-54459304942992593552009-08-17T05:12:44.608-07:002009-08-17T05:12:44.608-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में इस्लाम की 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (20-20) <br />इस्लाम में जो समता और बंधुत्व है वह संसार के किसी धर्म में नहीं है। हिन्दू धर्म में हरिजन घृणित और अपमानित माने जाते हैं। इस भावना के विरूद्ध 2500 वर्ष पूर्व महात्मा बुदद्ध ने आवाज़ उठाई और तब से अब तक अनेक सुधारकों ने इस भावना को बदलने का प्रयास किया। आधुनिक काल में महात्मा गाँधी ने अथक प्रयास किया किन्तु वे भी हिन्दुओं की इस भावना को बदलने में सफल नहीं हो सके। इसी प्रकार ईसाइयों भी गोरे-काले का भेद है। गोरों का गिरजाघर अलग और कालों का गिरजाघर अलग होता है। गोरों के गिरजाघर में काले उपासना के लिए प्रवेश नहीं कर सकते। दक्षिणी अफ्रीका में इस युग में भी गोर ईसाई का नारा व्याप्त है और राष्टसंघ का नियंत्रण है। इस भेद-भाव को इस्लाम ने ऐसा जड से मिटाया कि इसी दक्षिणी अफ्रीका में ही एक जुलू के मुसलमान होते ही उसे मुस्लिम समाज में समानता प्राप्त हो जाती है, जबकि ईसाई होने पर ईसाई समाज में उसको यह पद प्राप्त नहीं होता। गाँधी जी ने इस्लाम की इस प्रेरक शक्ति के प्रति हार्दिद उदगार व्यक्त किया है।।''<br />मैं आभारी हैं मधुर संदेश संगम के जिन्होंने इस लेख को ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ नामक पुस्तिका में छापा।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-25622872133638901702009-08-17T05:12:00.126-07:002009-08-17T05:12:00.126-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (19-20) <br />जो व्यक्ति किसी व्यक्ति की एक बालिश्त भूमि भी अनधिकार रूप से लेगा वह क़ियामत के दिन सात तह तक पृथ्वी में धॅसा दिया जाएगा।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-3941445730913658682009-08-17T05:10:52.003-07:002009-08-17T05:10:52.003-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (18-20) <br /><br />इस्लाम कहता है कि जिसका पडोसी उसकी बुराई से सुरक्षित न हो वह ईमान नहीं लाया।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-50568402347334058552009-08-17T05:09:25.203-07:002009-08-17T05:09:25.203-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (17-20) <br />इस्लाम के अनुसार इस्लामी राज्य कुफ्र (अधर्म) को सहन कर सकता है, परन्तु अत्याचार और अन्याय को सहन नहीं कर सकता।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-58355206632726388312009-08-17T05:08:32.049-07:002009-08-17T05:08:32.049-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (16-20) <br />किसी का ईमान पूर्ण नहीं हो सकता जब तक कि वह अपने साथी को अपने समान न समझे।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-51035585021820712722009-08-17T05:07:38.509-07:002009-08-17T05:07:38.509-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (15-20) दया ईमान की निशानी है। जिसमें दया नहीं उसमें ईमान नहीं।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-30887455914282009012009-08-17T05:06:34.511-07:002009-08-17T05:06:34.511-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में इस्लाम की 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (14-20)<br /> इस्लाम कहता है कि जो प्राणियों पर दया करता है, ईश्वर उसपर दया करता है।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-88338353091619028732009-08-17T05:04:45.059-07:002009-08-17T05:04:45.059-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (13-20<br />इस्लाम कहता है कि ईश्वर उससे प्रेम करता है जो उसके बन्दों के साथ अधिक से अधिक भलाई करता है।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-22990773604413900952009-08-17T05:02:08.013-07:002009-08-17T05:02:08.013-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (12-20)<br /> इस्लाम कहता है कि यदि तुम ईश्वर से प्रेम करते हो तो उसकी सृष्टि से प्रेम करो।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-65561226937600984682009-08-17T05:01:08.535-07:002009-08-17T05:01:08.535-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (11-20)<br />इस्लाम ने अनाथों के सम्पत्तिहरण को धार्मिक पाप ठहराया है। (कुरआनः 4:10, 4:127)Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-6346177481748521212009-08-17T05:00:43.754-07:002009-08-17T05:00:43.754-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (10-20) <br />इस्लाम ही है जिसे कम नापने और कम तौलने को वैधानिक अपराध के साथ धार्मिक पाप भी ठहराया और बताया कि परलोक में भी इसकी पूछ होगी।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-77185396367523004452009-08-17T04:56:52.085-07:002009-08-17T04:56:52.085-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (10-20) <br />यह इस्लाम ही है जिसने किसी स्त्री के सतीत्व पर लांछना लगाने वाले के लिए चार साक्ष्य उपस्थित करना अनिवार्य ठहराया है और यदि वह चार उपस्थित न कर सके तो उसके लिए अस्सी कोडों की सज़ा नियत की है। इस संदर्भ में श्री रामचन्द्र और हज़रत मुहम्मद साहब का आचरण विचारणीय है। मुहम्मद साहब की पत्नी सुश्री आइशा के सतीत्व पर लांछना लगाई गई थी जो मिथ्या सिद्ध हुई, श्रीमति आइशा निर्दोष सिद्ध हुई। परन्तु रामचन्द्र जी ने केवल संशय के कारण श्रीमती सीता देवी का परित्याग कर दिया जबकि वे अग्नि परीक्षा द्वारा अपना सतीत्व सिद्ध कर चुकी थीं। यदि पुरूष रामचंद्र जी के इस आचार का अनुसरण करने लगें तो कितनी निर्दाष सिद्ध् की जीवन नष्ट हो जाए। स्त्रियों को इस्लाम का कृतज्ञ होना चाहिए कि उसने निर्दोष स्त्रियों पर दोषारोपण को वैधानिक अपराध ठहराया।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-15792606518329182182009-08-17T04:56:00.488-07:002009-08-17T04:56:00.488-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (9-20)<br />यह इस्लाम ही है जिसने किसी स्त्री के सतीत्व पर लांछना लगाने वाले के लिए चार साक्ष्य उपस्थित करना अनिवार्य ठहराया है और यदि वह चार उपस्थित न कर सके तो उसके लिए अस्सी कोडों की सज़ा नियत की है। इस संदर्भ में श्री रामचन्द्र और हज़रत मुहम्मद साहब का आचरण विचारणीय है। मुहम्मद साहब की पत्नी सुश्री आइशा के सतीत्व पर लांछना लगाई गई थी जो मिथ्या सिद्ध हुई, श्रीमति आइशा निर्दोष सिद्ध हुई। परन्तु रामचन्द्र जी ने केवल संशय के कारण श्रीमती सीता देवी का परित्याग कर दिया जबकि वे अग्नि परीक्षा द्वारा अपना सतीत्व सिद्ध कर चुकी थीं। यदि पुरूष रामचंद्र जी के इस आचार का अनुसरण करने लगें तो कितनी निर्दाष सिद्ध् की जीवन नष्ट हो जाए। स्त्रियों को इस्लाम का कृतज्ञ होना चाहिए कि उसने निर्दोष स्त्रियों पर दोषारोपण को वैधानिक अपराध ठहराया।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-28219010018905585632009-08-17T04:54:44.432-07:002009-08-17T04:54:44.432-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (8-20)<br />इस्लाम ही ने अनिर्वा परिस्थिति में स्त्रियों को पति त्याग का अधिकार प्रदान किया है, हिन्दू धर्म में स्त्री को यह अधिकार नहीं है। हमारे देश में संविधान द्वारा अब स्त्रियों को अनेक अधिकार मिले हैं।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-67166362905049052732009-08-17T04:53:46.319-07:002009-08-17T04:53:46.319-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (7-20) <br />इस्लाम ही ने सबसे प्रथम स्त्रियों को सम्पति का अधिकार प्रदान किया, उसने मृतक की सम्पति में भी स्त्रियों को भाग दिया। हिन्दू धर्म में विधवा स्त्री के पुनर्विवाह का नियम नहीं है, इतना ही नहीं मृत पति के शव के साथ विधवा का जीवित जलाने की प्रथा थी। जो नहीं जलाई जाती थी वह न अच्छा भोजन कर सकती थी, न अच्छा वस्त्र पहन सकती थी और न शुभ कार्यों में भाग ले सकती थी। वह सर्वथा तिरस्कृत हो जाती थी, उसका जीवन भारस्वरूप हो जाता था। इस्लाम में विधवा के लिए कोई कठोर नियम नहीं है। पति की मृत्यू के चार महीने दस दिन बाद वह अपना विवाह कर सकती है।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-32761571255116774512009-08-17T04:52:24.612-07:002009-08-17T04:52:24.612-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (6-20)<br />इस्लाम ही को यह श्रेय भी प्राप्त है कि उसने धार्मिक रूप से रिश्वत (घूस) को निषिद्ध ठहराया है (कुरआन 2:188) हज़रत मुहम्मद साहब ने रिश्वत देनेवाले और लेनेवाले दोनों पर खुदा की लानत भेजी है।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-62257953014733725812009-08-17T04:51:10.429-07:002009-08-17T04:51:10.429-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (5-20) <br />सूद (ब्याज) एक ऐसा व्यवहार है जो धनवानों को और धनवान तथा धनहीनों को और धनहीन बना देता है। समाज को इस पतन से सुरक्षित रखने के लिए किसी धर्म ने सूद पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई है। इस्लाम ही ऐसा धर्म है जिसने सूद को अति वर्जित ठहराया है। सूद को निषिद्ध घोषित करते हुए क़ुरआन में बाकी सूद को छोड देने की आज्ञा दी गई है और न छोडने पर ईश्वर और उसके संदेष्टा से युद्ध् की धमकी दी गई है। (कुरआन 2 : 279)Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-33372890813722390862009-08-17T04:50:38.763-07:002009-08-17T04:50:38.763-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (4-20) <br />इस्लाम में हर प्रकार का जुआ निषिद्ध है जबकि हिन्दू धर्म में दीपावली में जुआ खेलना धार्मिक कार्य है। ईसाई। धर्म में भी जुआ पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-77895092923653145462009-08-17T04:48:10.225-07:002009-08-17T04:48:10.225-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- (3-20) <br /> ज़कात अर्थात अनिवार्य दान। यह श्रेय केवल इस्लाम को प्राप्त है कि उसके पाँच आधारभूत कृत्यों-नमाज़ (उपासना) , रोज़ा (ब्रत) हज (काबा की तीर्थ की यात्रा), में एक मुख्य कृत्य ज़कात भी है। इस दान को प्राप्त करने के पात्रों में निर्धन भी हैं और ऐसे कर्जदार भी हैं ‘जो कर्ज़ अदा करने में असमर्थ हों या इतना धन न रखते हों कि कोई कारोबार कर सकें। नियमित रूप से धनवानों के धन में इस्लाम ने मूलतः धनहीनों का अधिकार है उनके लिए यह आवश्यक नहीं है कि वे ज़कात लेने के वास्ते भिक्षुक बनकर धनवानों के पास जाएँ। यह शासन का कर्तव्य है कि वह धनवानों से ज़कात वसूल करे और उसके अधिकारियों को दे। धनहीनों का ऐसा आदर किसी धर्म में नहीं है।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-86947064592153788592009-08-17T04:47:07.924-07:002009-08-17T04:47:07.924-07:00राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं ...राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- <br />(2-20) इस्लाम ने मदिरा को हर प्रकार के पापों की जननी कहा है। अतः इस्लाम में केवल नैतिकता के आधार पर मदिरापान निषेघ नहीं है अपितु घोर दंडनीय अपराध भी है। अर्थात कोड़े की सज़ा। इस्लाम में सिदधंततः ताड़ी, भंग आदि सभी मादक वस्तुएँ निषिद्ध है। जबकि हिन्दू धर्म में इसकी मनाही भी है और नहीं भी है। विष्णु के उपासक मदिरा को वर्जित मानते हैं और काली के उपासक धार्मिक, शिव जैसे देवता को भंग-धतुरा का सेवनकर्ता बताया जाता है तथा शैव भी भंग, गाँजा आद का सेवन करते हैं।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-255827798280935011.post-25845602365241441362009-08-17T04:44:22.446-07:002009-08-17T04:44:22.446-07:00अल्लाह, कुरआन और मुहम्मद का मजाक उडाने वाले आज त...अल्लाह, कुरआन और मुहम्मद का मजाक उडाने वाले आज तेरे कारण सारे अग्रीगेटर कांप जायेंगे, वह न्याय पर नहीं रहेंगे, <br /><br />राजेन्द्र नारायण लाल अपनी पुस्तक ‘इस्लाम एक स्वयं सिद्ध ईश्वरीय जीवन व्यवस्था‘ में लेख ‘इस्लाम की विशेषताऐं’ में मुहम्मद कि 20 विशेषतायें लिखते हैं क्रमानुसार प्रस्तुत हैं- <br /><br />(1) इस्लाम की सबसे प्रधान विशेषता उसका विशुद्ध एकेश्वरवाद है। हिन्दू धर्म के ईश्वर-कृत वेदों का एकेश्वरवाद कालान्तर से बहुदेववाद में खोया तो नहीं तथापि बहुदेववाद और अवतारवाद के बाद ईश्वर को मुख्य से गौण बना दिया गया है। इसी प्रकार ईसाइयों की त्रिमूर्ति अर्थात ईश्वर, पुत्र और आत्मा की कल्पना ने हिन्दुओं के अवतारवाद के समान ईसाई धर्म में भी ईश्वर मुख्य न रहकर गौण हो गयां इसके विपरीत इस्लाम के एकेश्वरवाद में न किसी प्रकार का परिवर्तन हुआ और न विकार उत्पन्न हुआ। इसकी नींव इतनी सुदृढ़ है कि इसमें मिश्रण का प्रवेश असंभव है। इसका कारण इस्लाम का यह आधारभूत कलिमा है- ‘‘मैं स्वीकार करता हूँ कि ईश्वर के अतिरिक्त कोई पूज्य और उपास्य नहीं और मुहम्मद ईश्वर के दास और उसके दूत हैं। मुहम्मद साहब को ईश्वर ने कुरआन में अधिकतर ‘अब्द’ कहा है जिसका अर्थ आज्ञाकारी दास है, अतएव ईश्वर का दास न ईश्वर का अवतार हो सकता है और न उपास्य हो सकता है।Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.com